namaz in hindi,दुनिया में हर मुसलमान पर कुरान में नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है ,नमाज़ को जो भी मुसलमान नहीं पढता है वो अल्लाह की नजर में सबसे निचे है। इसलिए सभी को 5 वक़्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को नमाज़ पढ़ने का तरीका नहीं पता इस पोस्ट में आपको नमाज़ का तरीका बताऊंगा वो भी हिंदी में।
नमाज़ क्या है ?
नमाज़ शब्द “सलात “ शब्द का उर्दू प्रयाय है “सलात “ अरबी शब्द है कुरान में बार बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ है। नमाज़ हर वो आदमी जिसने कलमा पढ़ा है और उसकी उम्र 7 साल से जयादा है पर फ़र्ज़ है। अगर कोई भी मुसलमान नमाज़ को दुनिया के कामों के लिए छोड़ता है तो वो अल्लाह की नजर में गुनेहगार है।
namaz time
सभी पर 5 वक़्त की नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है जो की इस प्रकार है :-
- फज़र :-यह नमाज़ सुबह सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है इसमें 4 रकत होती है।
- दुहर :-यह दोपहर को अदा की जाती है।
- असर :-यह दोपहर के बाद पढ़ी जाती है।
- मगरिब :-यह शाम को सूरज के डूबने के वक़्त पढ़ी जाती है
- ईशा :-यह देर रात्रि को सोने से पहले पढ़ी जाती है
इन सब के लिए हर देश में अपने अपने namaz time निर्धारित किये गए है।
नमाज़ में पढ़े जाने वाली दुआ
किसी भी नमाज़ को पढ़ने के लिए कुछ दुआओं का याद होना जरुरी है जो की निम्न है:
सना का याद होना :-
सना हिंदी में
“सुब हानकल लाहुम्मा व बिहमदिका व तबा रकस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक“
sana in english
Subhanakal Lahumma Wa Bihamdika Wa Tabarakasmuka
Wa Ta Aala Jadduka Wala Ilaha Gairuk
सुरः फातिहा :-
बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम
अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन
अर रहमा निर रहीम
मालिकि यौमिद्दीन
इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन
इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम
सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम
गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)
अत हियात हिंदी में
अत तहिय्यातु लिल लाहि वस सलवातु वत तय यिबातु
अस सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल लाहि व बरकातुह
अस सलामु अलैना व अला इबदिल लाहिस सलिहीन
अश हदु अल ला इलाहा इल्लल लाहु व अश हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह
dua e masura
ALLAHumma Inni Zalamtu Nafsi Zulman Kaseeraan, Wala Yaghfiruz-Zunooba Illa Anta, Faghfirlee Maghfiratan-mMin ‘IndikaWar Hamnee Innakaa Antal Ghafoorur Ra’heemu
इन सब के अलावा कम से कम 4 आयत भी याद होनी चाहिए जो आप अपने हिसाब से कोई भी याद कर सकते हैं
namaz ka tarika hindi
नमाज़ पढ़ने के लिए निचे बताई गयी स्टेप्स को फॉलो करें
नियत करना
सबसे पहले नमाज़ पढ़ने के लिए नियत करें की आप कोनसी नमाज़ और कितनी रकात पढ़ रहे है जैसे
“मे नियत करता हूँ 2 रकअत सुन्नत नमाज़ वास्ते अल्लाह तआला के रुख मेरा काबा सरीफ की तरफ “
हाथ बांधें
नियत करने के बाद अपने हाथ बांध ले और सना पढ़ें। सना पढ़ने के बाद surah fatiha पढ़ें और कोई एक आयत पढ़ें
नमाज की सूरते :-
namaz पढ़ने के लिए कम से कम 4 आयतें याद कर ले
रुकू में जाएँ
अल्लाह हु अकबर कहकर रुकू में चले जाएँ 3 से 7 बार सुब्हान रब्बी अल अजीम पढ़ें और समीअल्लाह हुलिमन हम्द और रब्बना लक्लहम्द कहकर खड़े हो जायें
सजदा करें
तुरंत बाद सजदे में चले जाएँ और 3 से 7 बार सुब्हान रबी अल आला पढ़े। ऐसे 2 बार सजदे करने के बाद खड़े हो जाएँ इस तरह एक रकात पूरी हो जाएगी।
इसके बाद एक बार फिर से वैसे ही पूरी प्रोसेस करनी है जो हमने पहली रकात में की और सजदे करने के बाद इस बार खड़ा नहीं होना है बल्कि पैर मोड़कर बैठ जाना है।
अत-हियात पढ़ना
अत हियात पढ़नी है।”अश हदु अल ला इलाहा इल्लल लाहु व अश हदु अन्ना मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुह” पढ़ते वक़्त अपने दाहिने हाथ की पहली ऊँगली काबे की तरफ उठानी है।
दुरुद सरीफ पढ़ना
इसके बाद दुरुद सरीफ पढ़नी है और सबसे अंत में दुआ मासुरा पढ़कर “अस्सलामुअलैकुम रहमतुल्लाहि” पढ़कर अपनी गर्दन को दाई तरफ और फिर से अस्सलामुअलैकुम रहमतुल्लाहि कहकर बायें तरफ घुमाये। इस तरह आपकी मुकम्मल 2 रकात सुन्नत नमाज़ हो जाएगी।
हर नमाज़ में आप इसी तरह नियत करेंगे और सुन्नत की जगह अगर फ़र्ज़ है तो फ़र्ज़ पढ़ेंगे और 2 की बजाय 4 रकत है तो आप चार रकअत के लिए नियत करेंगे। लेकिन अगर चार रकअत हैं तो आप 2 रकात पढ़ने के बाद सलाम फेरने की बजाय सिर्फ अत्त हियात पढ़कर खड़े हो जायेंगे और पिछली रकअतों की तरह तीसरी और चौथी रकअत पढ़ेंगे। चौथी rakat में सलाम फेरेंगे।
FAQ
सबसे जयादा रकात किस नमाज़ में होती हैं ?
ईशा की नमाज़ में अधिकतम 17 रकात होती हैं।
नमाज़ किस पर लागु होती है ?
हर मुसलमान जो 7 साल से अधिक उम्र का है उस पर नमाज़ पढ़ना फ़र्ज़ है ?
नमाज इस्लाम का CENTRAL PART है। नमाज शब्द अरबी मूल शब्द से आया है जिसका अर्थ है “इबादत में झुकना“।
इस शब्द का अर्थ “प्रार्थना” भी है।
हिंदी में नमाज इस्लाम में सबसे महत्वपूर्ण मज़हबी गतिविधि है। यह इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है,
कुरान (इस्लाम की पवित्र किताब) में कहा गया है कि नमाज़ दिन में पाँच बार पढ़ी जानी चाहिए: फज़्र ,जुहर ,असर ,मग़रिब ,ईशा
इन पांच दैनिक नमाज़ के अलावा, विशेष नमाज़ हैं जिन्हें जुमा की नमाज़ कहा जाता है (जो शुक्रवार को दोपहर की नमाज़ की जगह लेती है), ईद उल अधा नमाज़ (बकरा ईद के दिन) और ईद उल फितर की नमाज़ (ईद के दिन) जिसे हर वयस्क मुसलमान को अदा करना आवश्यक है यदि उसके पास साधन है।
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